Thursday 17 January 2013

कांग्रेस का चिंतन शिविर, राहुल को सौंपी जा सकती है लोकसभा चुनाव की जिम्मेदारी


राजस्थान/जयपुर/ गुलाबी नगरी जयपुर में शुक्रवार से शुरू हो रही कांग्रेस की तीन दिवसीय बैठक पार्टी नेतृत्व में पीढ़ीगत बदलाव की शुरुआत करने वाली साबित होगी. इसमें राहुल गांधी और उनकी युवा ब्रिगेड को आगामी लोकसभा चुनाव की कमान संभालने की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है.


देश के सबसे पुराने राजनीतिक दल के 18 जनवरी से शुरू हो रहे चिंतन शिविर में भाग लेने वाले 350 प्रतिनिधियों में युवा कांग्रेस और एनएसयुआई से 160 प्रतिनिधियों को बुलाना निकट भविष्य में कांग्रेस नेतृत्व के पीढ़ीगत परिवर्तन होने का सबसे बड़ा संकेत है.

इससे पहले ऐसे जमावड़ों में उक्त युवा संगठनों से बमुश्किल मुट्ठी भर सदस्यों को ही जगह मिल पाती थी. आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए इस दो दिवसीय शिविर को महत्वपूर्ण माना जा रहा है.


कांग्रेस में बढ़ सकता है राहुल गांधी का पद


दो दिवसीय चिंतन शिविर के बाद 20 जनवरी को पार्टी की महासमिति की बैठक होगी. महासमिति की बैठक में होने वाले फेरबदल में राहुल को औपचारिक रूप से पार्टी में नंबर दो के पद पर आसीन किया जा सकता है.

इसमें पिछले लोकसभा चुनाव में अपनाई गई 'एकला चलो' की रणनीति को 2014 के चुनाव में छोड़ने पर सहमति बनने की संभावना है. 2009 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश और बिहार में संगठन को फिर से निर्मित करने के नाम पर मुलायम सिंह यादव और लालू प्रसाद से समझौता करने से इंकार कर दिया गया था.

दिलचस्प पहलू यह है कि इन दोनों राज्यों में 'एकला चलो' की रणनीति खुद राहुल ने बनाई थी. लेकिन पार्टी ने अब जमीनी हकीकत को देखते हुए लोकसभा चुनाव से पहले ही गठबंधनों को तलाशने की कवायद शुरू कर दी है. इसके लिए पार्टी के वरिष्ठ नेता रक्षा मंत्री एके एंटनी को मुख्य जिम्मेदारी दी गई है.


कई राज्यों में लंबे समय से सत्ता से बाहर है कांग्रेस


पार्टी ने गठबंधनों की संभावना तलाशने के लिए एक उप समूह का गठन किया है. यह उप समूह 2014 के चुनावों के लिए राहुल गांधी के नेतृत्व वाले समूह का हिस्सा है.

कांग्रेस ने गुजरात में 1995 में, उत्तर प्रदेश में 1989 में, बिहार में 1990 में और त्रिपुरा में 1993 में सत्ता गवां दी. पश्चिम बंगाल में वह तीन दशकों से अधिक समय से सत्ता से बाहर है, हालांकि तृणमूल कांगेस के साथ वह अल्पकाल के लिए सत्ता में रही. तमिलनाडु में वह चार दशक से अपने बूते पर सत्ता में नहीं आ सकी है.

बैठक में क्षेत्रीय दलों का ग्राफ चढ़ने को लेकर कांग्रेस की चिन्ताओं पर चर्चा होगी. पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी, तमिलनाडु में जयललिता, उत्तर प्रदेश में मायावती और मुलायम, बिहार में नीतीश कुमार और ओडिशा में नवीन पटनायक बडे क्षेत्रीय नेता बनकर उभरे हैं.


उभरती राजनीतिक चुनौतियां और संगठनात्मक ताकत की समीक्षा पर चर्चा


कांग्रेस की सबसे बड़ी चिन्ता जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली वाईएसआर कांग्रेस का आंध्र प्रदेश में उभरना है. दक्षिण में यही एकमात्र ऐसा बडा राज्य है, जहां कांग्रेस सत्ता में है. पृथक तेलंगाना राज्य के गठन की मांग ने आंध्र में पार्टी की स्थिति को और पेचीदा कर दिया है.

पार्टी नेतृत्व की ओर से जयपुर शिविर को ''युवा और अनुभव'' का ऐसा ''संगम'' बताया जा रहा है जो आगामी लोकसभा चुनावों में यूपीए-3 सरकार बनाने के लिए मिलकर काम करेगा.

जयपुर चिंतन शिविर में पांच विषयों पर चर्चा होनी है जिनमें उभरती राजनीतिक चुनौतियां और संगठनात्मक ताकत की समीक्षा मुख्य हैं.

हाल में दिल्ली में चलती बस में एक लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार और कुछ दिन पहले नियंत्रणरेखा पर पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा दो भारतीय सैनिकों की हत्या करने और उनमें से एक का सिर धड़ से अलग कर दिए जाने जैसी घटनाओं से जनता, खासकर मध्य वर्ग में उभरे आक्रोश को समझने और उसके अनुरूप नीति बनाने पर भी चर्चा की संभावना है.


देश की राजनीतिक और आर्थिक स्थिति पर भी होगी चर्चा


लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन के लिए मध्य वर्ग से पार्टी को जोड़ने को महत्वपूर्ण माना जा रहा है.

अन्य विषयों में बदलती सामाजिक-आर्थिक चुनौतियां, भारत और विश्व तथा महिला सशक्तिकरण हैं.

शिविर में अन्य बातों के अलावा देश की राजनीतिक और आर्थिक स्थिति पर चर्चा होगी. ग्रामीण एवं शहरी गरीबों के लिए चलाई जा रही संप्रग सरकार की योजनाओं की समीक्षा भी की जाएगी.

शिविर में लगभग आधे प्रतिनिधियों के पार्टी की उक्त दो युवा शाखाओं से आने से चिंतन बैठक में राहुल का दबदबा साफ देखा जा सकता है.

राहुल को कांग्रेस में बड़ी भूमिका देने की कवायद में उन्हें पार्टी की सबसे शक्तिशाली चुनाव समिति का प्रभारी पहले ही बनाया जा चुका है.

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Ditulis Oleh : shailendra gupta Hari: 05:40 Kategori: