
कांग्रेससमचारडेस्क/ प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहनसिंह ने कुछ समय पहले जब केंद्रीय मंत्रिमंडल का विस्तार किया, तब यह सवाल सुर्खियों में था कि, राहुलजी मंत्रिमंडल में शामिल होंगे या नहीं? और शामिल होंगे तो किस नंबर पर रहेंगे और कौन-से महकमे की जिम्मेदारी संभलेंगे? जबकि, राहुलजी ने खुद को सत्ता-साकेत से परे रखकर इन सब सवालों की हवा निकाल दी और कांग्रेस पार्टी की चुनाव समन्वय समिति के प्रमुख बनकर यह जता दिया कि उनका यकीन सत्ता के बजाय संगठन में काम करने में अधिक है। अब दीवार पर लिखी इबारत की तरह साफ है कि आगामी चुनाव की संपूर्ण जिम्मेदारी राहुलजी उठाएंगे।
कांग्रेस ने अपनी परंपरा के मुताबिक, लोकसभा चुनाव के वक्त इस बात की आधिकारिक घोषणा नहीं की है कि कांग्रेस के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार राहुल गांधी हैं,जबकि विरोधी खेमे में प्रधानमंत्री पद को लेकर रस्साकशी चालू है और टांग खिंचाई से लेकर आरोप—प्रत्यारोप के दौर चल रहे हैं। कांग्रेस ने स्पष्ट संकेत दे दिए हैं कि राहुलजी ही भविष्य के नेता हैं और कांग्रेस उन्हीं के नेतृत्व में भविष्य के मुकाम तय करेगी।
कांग्रेस द्वारा गठित चुनाव समन्वय समिति का मुख्य काम आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारियों को व्यवस्थित मूर्त रूप देना है। राहुलजी की इस टीम में पार्टी वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं का समावेश है। इस समिति में कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधीजी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल का नाम सबसे महत्वपूर्ण है। अहमद पटेलजी की काबिलियत सर्वविदित है, उनकी राजनीतिक सूझ—बूझ का फायदा पार्टी को तमाम मौकों पर मिला है, अब वे राहुलजी के सलाहकार की भूमिका में आ गए हैं। उनके बाद पार्टी के दिग्गज नेता महासचिव दिग्विजयसिंहजी हैं जो मोर्चे पर एक लड़ाकू यौद्धा की तरह डटे रहते हैं तो पार्टी के भीतर रणनीति बनाने में भी माहिर हैं। उनके अलावा केरल के प्रभारी मधुसूदन मिस्त्री, ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश और पार्टी के महासचिव जनार्दन द्विवेद्वी भी इस समन्वय समिति में हैं।
मुख्य टीम में वरिष्ठ और अनुभवी नेता हैं तो चुनाव प्रचार इत्यादि की टीम में ज्योतिरादित्य सिंधिया, दीपेंद्रसिंह हुड्डा, जतिन प्रसाद और दूसरे युवा नेता हैं। कहने का आशय यह कि 'युवा और अनुभवी' नेताओं का उम्दा समन्वय इस समिति में किया गया है। लोकसभा चुनाव के पहले, हरेक मोर्चे को चुस्त—दुरुस्त कर लेने की कांग्रेस की तैयारी साफ दिखाई पड़ रही है।
आगामी लोकसभा चुनाव निर्धारित समय पर होने की बात कांग्रेस बार—बार कह चुकी है किंतु विरोधी हैं कि बार—बार मुद्दत पूर्व चुनाव का रा्ग अलाप रहे हैं, खास तौर पर ममता बनर्जी समर्थन वापस लेने के बाद और भाजपा भी मुद्दत पूर्व चुनाव होने की बात कर रही है। समन्वय समिति का गठन कर कांग्रेस पार्टी ने अपने विरोधियों को करारा जवाब दे दिया है कि हम चुनाव से नहीं डरते, हम तैयार हैं, हमारी फौज राहुलजी की अगुवाई में मत—संग्राम का बिगुल फूंक चुकी है।
मुख्य विरोधी दल भारतीय जनता पार्टी के नेता भी, समय—पूर्व चुनाव के तराने छेड़े हुए हैं, किंतु अंदरखाने पार्टी की कोई तैयारी दिखाई नहीं देती। इसके उलट, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितीन गडकरी ही घपले—घोटालों और बयानों के कारण विवादों में फंसे है। जब अध्यक्ष, यानी सेनापति का ही मॉरल डाउन है तो वे अपनी टीम को क्या प्रोत्साहित करेंगे और मार्गदर्शन देंगे? गडकरी अध्यक्ष पद की दूसरी पारी नहीं खेल पाएं, इसके लिए पार्टी के भीतर ही रस्साकशी एवं खींचतान मची हुई है, तब ऐसी स्थिति में चुनाव हो गए तो सबसे पतली हालत ही भाजपा की होगी। इन संभावनाओं के मद्देनजर ही कांग्रेस ने यथोचित समय पर तैयारियां शुरु कर दी हैं। अब टीम राहुल के पास जितना समय है, वह पूरे ही समय का उपयोग बेहतर और उम्दा करने में लगाएगी।