
बेशक, कसाब का मामला बेहद जटिल था...एक ओर जहां कसाब मुंबई पर हमला करने वाले नौ आतताइयों में अकेला था, जो पुलिस के हत्थे चढ़ा था...अदालत ने उसे फांसी की सजा दे दी थी...लेकिन उसने महामहिम राष्ट्रपति के पास दया की अर्जी लगा दी थी...फैसला राष्ट्रपतिजी को करना था...और, उन्होंने वह किया...देशहित में किया...जिस पर अमल करते हुए सरकार ने बुधवार की सुबह साढ़े सात बजे कसाब को फांसी पर लटका दिया। कसाब को फांसी देकर भारत ने अपने पड़ौसी दुश्मन राष्ट्र पाकिस्तान को भी करारा जवाब दे दिया कि वह उसके हथकंडों के आगे झुकेगा नहीं।
देशहित में यह फैसला बहुत जरूरी था और उसे कांग्रेस ने कर दिखाया। ऐसे फैसलों के लिए प्रियदर्शिनी स्व. इंदिराजी जानी जाती थीं। वे अक्सर ऐसे कड़े फैसले लेतीं थीं, जो जनमानस को हतप्रभ कर देते थे, चकित कर देते थे। चाहे वह बांग्लादेश का निर्माण हो या बैंकों का राष्ट्रीयकरण। सोनियाजी, आप वाकई इंदिराजी की पुनरावतार हैं। देशहित में यह फैसला लेकर आपने तमाम देशवासियों को गदगद कर दिया है।