Friday 23 November 2012

कसाब को फांसी का ऐतिहासिक फैसला: इंदिराजी का पुनरावतार, सोनियाजी तुम्हें सलाम!

त्वरित टिप्पणी/अश्विनी श्रीवास्तव/ देश एक बार फिर गौरवान्वित हो गया। यह वाकई ऐतिहासिक फैसला था...26/11 मुंबई हमले के एक अदद जिंदा पकड़े गए आरोपी मोहम्मद अजमल कसाब को फांसी पर लटकाने का फैसला न केवल ऐतिहासिक है, बल्कि गौरवान्वित करने वाला भी है...इसके दूरगामी नतीजे होंगे...इसमें न कोई शक है, न सुबहा...देशहित में ऐसे फैसले केवल कांग्रेस ही कर सकती है...कसाब को फांसी देकर सोनियाजी के नेतृत्व में कार्यरत यूपीए की कांग्रेसनीत सरकार ने यह एक बार फिर साबित कर दिया है...सोनियाजी आपको शत—शत प्रणाम!

बेशक, कसाब का मामला बेहद जटिल था...एक ओर जहां कसाब मुंबई पर हमला करने वाले नौ आतताइयों में अकेला था, जो पुलिस के हत्थे चढ़ा था...अदालत ने उसे फांसी की सजा दे दी थी...लेकिन उसने महामहिम राष्ट्रपति के पास दया की अर्जी लगा दी थी...फैसला राष्ट्रपतिजी को करना था...और, उन्होंने वह किया...देशहित में किया...जिस पर अमल करते हुए सरकार ने बुधवार की सुबह साढ़े सात बजे कसाब को फांसी पर लटका दिया। कसाब को फांसी देकर भारत ने अपने पड़ौसी दुश्मन राष्ट्र पाकिस्तान को भी करारा जवाब दे दिया कि वह उसके हथकंडों के आगे झुकेगा नहीं।

देशहित में यह फैसला बहुत जरूरी था और उसे कांग्रेस ने कर दिखाया। ऐसे फैसलों के लिए प्रियदर्शिनी स्व. इंदिराजी जानी जाती थीं। वे अक्सर ऐसे कड़े फैसले लेतीं थीं, जो जनमानस को हतप्रभ कर देते थे, चकित कर देते थे। चाहे वह बांग्लादेश का निर्माण हो या बैंकों का राष्ट्रीयकरण। सोनियाजी, आप वाकई इंदिराजी की पुनरावतार हैं। देशहित में यह फैसला लेकर आपने तमाम देशवासियों को गदगद कर दिया है।

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Ditulis Oleh : shailendra gupta Hari: 00:47 Kategori: