अश्विनी श्रीवास्तव/ दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत में कांग्रेस अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी में त्याग, धैर्य, सहिष्णुता, क्षमादायी, दृढ़ प्रतिज्ञा, वचनबद्धता के गुणों का जो सम्मिश्रण हैं, वह विलक्षण है, नैसर्गिक है, जिसे देवतुल्य कहने में कोई अति उत्साह या चाटुकारिता का प्रदर्शन नहीं है। सहज आकलन में जो महसूस किया जाता है, उसे अभिव्यक्त करने का भी एक गौरव है।
देश का हर जागरूक व्यक्ति यह जानता है कि विरोधी ताकतों के हाथों श्रीमती इंदिरा गांधी की बाद कितने आत्मविश्वास के साथ राजीव गांधीजी ने देश को सशक्त नेतृत्व दिया। वे संभल भी नहीं पाए थे कि सात साल बाद देशद्रोहियों ने उनकी हत्या कर गांधी परिवार को एक बड़ा सदमा दे दिया।
इन विषम परिस्थितियों का कितनी दृढता से भारतीय बहू श्रीमती सोनिया गांधी ने सामना किया। इस दृढता को सलाम करना हर भारतवासी का धर्म है। घर—परिवार में दो बलिदानों की आहूति देने—देखने के बाद भी परिवार के प्रति, मातृत्व के प्रति, देश के प्रति उन्होंने अपने हर कर्तव्य—धर्म का पालन किया। इतिहास में ऐसी निडर और देशभक्त किसी भी अन्य महिला का कोई साहसिक उदाहरण नहीं है।
कांग्रेस अध्यक्ष पद ग्रहण करने एवं देश के लिए स्वयं को समर्पित करने के लिए जैसे ही सोनियाजी के प्रतिज्ञापूर्ण कदम आगे आए, अनेक विघ्न—संतोषी—स्वार्थी तत्वों ने उनके सम्मान में जितनी स्तरहीनता का परिचय दिया जा सकता था, सभी ने एक—दूसरे से आगे निकलने में कड़वे शब्दों का उपयोग कर खुद की मर्यादा और गरिमा तक कलंकित कर डाली किंतु सोनियाजी ने आम आदमी का आशीर्वाद लेकर अडिग कदम आगे बढ़ाना जारी रखा।
उनके दयापूर्ण, क्षमामयी स्वभाव ने देश की सभी विरोधी पार्टियों के पलायनवादी जन समर्थन ने नेताओं की पोल खोल दी। उन्होंने कभी भी किसी पर गंदे कीचड़ उछालना पसंद नहीं किया।
प्रधानमंत्री पद तक पहुंचाने के जनादेश के बाद भी जब मुलायमसिंह यादव जैसे बिन पेंदी के नेता ने देश के सांप्रदायिक सोच के मुखौटे श्री अटलबिहारी वाजपेयी की ताजपोशी में सीधे मदद की, तब भी उन्होंने बड़ी सहजता से निर्विकार तेवर प्रदर्शित कर अपनी देश—भक्त तपस्या जारी रखी।
अटलबिहारी बाजपेई की सरकार ने इंडिया शाइनिंग के दिखावे के पीछे कितने स्तरहीन निर्णय लेकर देश को पीछे धकेलने के एक भी अवसर को नहीं गंवाया, वहीं श्रीमती सोनिया गांधी चट्टान की तरह देश के जवाबों के समाधानकारक रूपरेखा बनाकर एक दीर्घकालीन कार्ययोजना के साथ शनै:शनै: अपने पग बढ़ाती रहीं। कभी किसी पर कोई कीचड़ नहीं उछाला, कभी किसी के प्रति अपशब्द नहीं बोले, अपनी मर्यादा, अपनी गरिमा को गंभीरता से अनेक गुणा बढ़ाती गई।
देश ने दुबारा उन्हें प्रधानमंत्री बनाने का जनादेश दिया किंतु उन्होंने बड़ी विनम्रता से अपने नैसर्गिक—देवतुल्य—विलक्ष्णता से डॉ. मनमोहनसिंह जैसे विषय विशेषज्ञ को देश की एक—एक नब्ज के मर्म को समझाकर उन्हें प्रधानमंत्री पद पर कार्य करने का निर्देश दिया।
उनके इस त्याग—सहिष्णु—दूरदर्शिता—वचनबद्धता और दृढ निश्चय की गौरव गाथा को देश का आम आदमी महसूस कर रहा है। श्रीमती सोनिया गांधी ने कांग्रेस की राष्ट्रवादी परंपरा, इतिहास की नींव पर ही मजबूत भारत के नवनिर्माण की कदम—दर—कदम विकास पथ को राष्ट्र की आवश्यकता और मांग पर जहां एक—एक पग आगे बढ़ा रही हैं, वहीं देश की दुनिया में भी मजबूत साख बनाने में सफल गाथा लिखकर कांग्रेस पथ और श्रीमती इंदिरा गांधी की विरासत को दिन दूनी रात चौगुनी गति से आगे बढ़ाने में सफलता के नये आयाम दे चुकी हैं।
श्रीमती सोनिया गांधी ने इंदिराजी के गरीबी हटाओ आंदोलन को सार्थकता से निष्पादित करने में दुनिया के सामने एक मिसाल पेश की है। दशकों से दबंगों और बाहुबलियों के खेत—खलिहान और मकान में बंणुआ जीवन जीने वाले गरीब खेतिहर मजदूर तक के घर में ''राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना''की सफलता से सशक्त दस्तक दी है। ध्वजवाहिनी योजना यूपीए सरकार में 20 सूत्रीय कार्यक्रमों के परिणाम की इबारत है। गांव—गांव सड़क, हर अनाज के समर्थन मूल्य में गुणात्मक वृद्धि, हर कमजोर—गरीब के लिए स्वास्थ्य मिशन, छोटे—मझौले किसान को कर्ज माफी, हर वन क्षेत्र में रहने वाले वनवासी को हक प्रमाण—पत्र, महिला सशक्तीकरण में नवजात बच्चों, प्रसूता माता, कमजोर किशोरी—मां बहनों के स्वास्थ्य—पोषण आहार, चिकित्सा, कुपोषण निवारण अभियान, घर—घर पेयजल आपूर्ति, खेत—खेत सिंचाई योजना, अल्पसंख्यक, अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़े वर्ग के समृद्धि की योजनाएं और उनके परिणामों से हर वर्ग लाभान्वित है।
सूचना का अधिकार, सरकार की जिम्मेदारी और जवाबदेही, लोकपाल, महिला आरक्षण के कदमों से हर परिवार में एक विश्वास की अनुभूति को पहुंचाने में समर्पित व्यक्तित्व को साधारण या औस्त मानना हमारी पूर्वाग्रही—पक्षपाती दृष्टि हो सकती है, किंतु श्रीमती सोनिया गांधी विलक्षण प्रतिभा की धनी और असामान्य संकल्प शक्ति की दूत हैं, जो अडिग और निडरता की भी पर्याय हैं।
इंदिराजी के अदम्य साहस और दूरदर्शिता को नमन कर अटलबिहारी बाजपेई ने उन्हें दुर्गा का अवतार कहा कहा था। निस्संदेह, इंदिराजी की प्रतिमूर्ति प्रतीक का अहसास सोनियाजी में होता है। उनके अदभुत कौशल को देवदूत या देवी या माता के शक्तिरूपेण स्वरूप के समतुल्य पाना सहज—सामाजिक स्वीकृति है। फिर भारतीय संस्कारों की प्रतिमूर्ति और हर चुनौती को माकूल जवाब देने की दनकी सामथ्र्य शक्ति को हम नमन करते हैं।
हे, सोनियाजी! आपका कुशल नेतृत्व इस देश का गौरव है जो हमें कांग्रेस और गांधी परिवार के अतीत से सापेक्ष करता है। आपकी मातृत्व शक्ति ने इस देश के हर गरीब को रोजी, रोटी और मकान दिया है जो देश का स्वाभिमान भी है। हमारा आपको बारंबार नमन— परम पिता परमेश्वर सबका मालिक आपको निरंतर स्वस्थ रख दीर्घायु शतायु करे जो करोड़ों भारत की आत्मा से निकली सशक्त हो रहे भारत की आवाज है।