उत्तरप्रदेश/मथुरा/ भाजपा के बाद अब कांग्रेस भी अपने संगठन को चुस्त-दुरुस्त करने की प्रक्रिया शुरू करने जा रही है। एक माह के अंदर चुनाव होने की आहट पदाधिकारियों और नेताओं ने महसूस कर ली है।
कांग्रेस का प्रदेश नेतृत्व पूरे प्रांत में सांगठनिक चुनाव शुरू करने जा रहा है। चुनाव की आहट से पद हथियाने की कवायद स्थानीय गुटों ने भी शुरू कर दी है। इस बीच शहर और जिलाध्यक्ष विरोधी लाबी भी सक्रिय हो गयी है। कई फैक्स और पत्र आदि भेजकर संगठन की दुर्दशा भी गिनायी जा रही है।
इस समय पार्टी के जिलाध्यक्ष पद पर श्रीकांत मिश्रा काबिज हैं। उनका यह दूसरा कार्यकाल चल रहा है। उनके विरोधियों का कहना है कि मथुरा-वृंदावन विस क्षेत्र को छोड़ उनके नेतृत्व में पार्टी जिले में किसी भी चुनाव में अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं करा पायी है। स्थानीय निकाय चुनाव में पार्टी की स्थिति दोयम रही है।
इसी प्रकार शहर अध्यक्ष आबिद हुसैन का भी दूसरा कार्यकाल चल रहा है, पर उपलब्धि के नाम पर उनके खाते में भी केवल मथुरा-वृंदावन सीट ही दर्ज है। लोकसभा चुनाव हों अथवा निकाय चुनाव, पार्टी को हार का सामना करना पड़ा है। नगर पालिका अध्यक्ष की सीट भी गंवानी पड़ी है, जबकि उसके मुट्ठी भर सभासद ही जीत कर आए हैं। शहर अध्यक्ष की शिकायतें भी नेतृत्व को भेजी गयी हैं।
यही हाल वृंदावन नगर अध्यक्ष पद का है। वहां पंद्रह साल से एक ही व्यक्ति काबिज है, लेकिन उपलब्धि के नाम पर उनका खाता भी शून्य है। इस बीच प्रदेश संगठन फेरबदल कर ताजगी लाने का प्रयास कर रहा है तो पार्टी के अंदर की युवा जमात भी सक्रिय हो गयी है।
उसका कहना है कि जब संगठन में काम करने का मौका मिलेगा तो आगामी लोकसभा चुनाव में वे मन से काम करेंगे और उन्हें भविष्य में इसका प्रतिफल भी मिलने की उम्मीद रहेगी।
कई नेताओं ने लखनऊ दौड़ भी शुरू कर दी है। 26 दिसंबर को लखनऊ में पीसीसी, एआइसीसी और पदाधिकारियों की बैठक बुलायी गयी है, जिसमें मुख्यत: तो एफडीआइ पर मथुरा में होने वाली रैली पर विचार होगा, लेकिन सांगठनिक चुनाव का कार्यक्रम मिलने की उम्मीद भी है।