Wednesday 2 January 2013

संयुक्त कमांडर सम्मेलन में प्रधानमंत्री का संबोधन


सशस्त्र बलों की अहम भूमिका 
प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह ने नई दिल्ली में भारतीय सशस्त्र बलों के संयुक्त कमांडर सम्मेलन को संबोधित किया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री के संबोधन के अनुदित अंश इस प्रकार हैं- 


भारतीय सशस्त्र बलों के संयुक्त कमांडर सम्मेलन को एक बार फिर से संबोधित करने में मुझे बेहद खुशी महसूस हो रही है । आप हमारे वीर सैनिकों, नौसैनिकों और वायुसैनिकों के विशेषाधिकार और सम्मान का नेतृत्व करते हैं। प्रत्येक समय जब राष्ट्र की सुरक्षा को चुनौती दी गई अथवा जब भी हमने प्राकृतिक आपदाओं का सामना किया, हमारे पुरूष और महिलाओं ने वर्दी में अदम्य साहस के साथ अपने कर्तव्य का पालन किया । 

सशस्त्र बलों ने हमारी सीमाओं की सुरक्षा जम्मू कश्मीर में आतंकवाद और घुसपैठ से मुकाबले, पूर्वोत्तर में अराजकता, भारतीय महासागर में समुद्री डकैती से निपटने और हाल ही में सिक्किम में आए भूकंप के दौरान नागरिक प्रशासन को मदद करने में एक अहम भूमिका निभाई है। 

आपका सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा है जब राष्ट्र विविध चुनौतियों का सामना कर रहा है। सूचना प्रवाह और प्रौद्योगिकियों के तेजी बढ़ते इस युग में हमारी सबसे महत्वपूर्ण सुरक्षा अनिवार्यता में इन चुनौतियों का शीघ्रता से और मिलकर सामना करना शामिल है। 

हमें ऐसे उत्कृष्ट-सैन्य संबंधों को बनाए रखने पर गर्व होना चाहिए जिन्हें हमने पारंपरिक रूप से बनाए रखा और जिनसे हमारे लोकतंत्र को आधार मिला है तथापि नए और उभरते खतरों का सामना करने के लिए हमें इस परंपरा को निरंतर निभाते हुए राष्ट्र के निर्माण में संयुक्त सहयोग की इच्छा शक्ति को बनाए रखना चाहिए । 

पड़ोसी देश के साथ संबंध 


हमने अपने पड़ोस पर विशेष ध्यान दिया है । यह हमारे उस दृढ़ विश्वास पर आधारित है कि यदि हम अपने पड़ोसियों के साथ अपने संबंधों को ठीक से प्रबंधित नहीं कर पाते हैं और इससे भी महत्वपूर्ण यह है कि यदि हम भारत की आर्थिक प्रगति और स्थिरता में उन्हें एक पर्याप्त जगह नहीं देते हैं तो भारत के सामाजिक आर्थिक परिवर्तन का कार्य अधिक कठिन होगा और इसमें सफलता की संभावना भी कम होगी। 

प्रमुख शक्तियां घरेलू समस्याओं में व्यस्त 


अधिकांश प्रमुख शक्तियां आज अपनी घरेलू समस्याओं के साथ व्यस्त है। इसने अतंर्राष्ट्रीय  मुद्वों के प्रति प्रभावी और समन्वित वैश्विक जवाबदेही के कार्य को और अधिक कठिन बना दिया है। हालांकि हमें अतंर्राष्ट्रीय मुद्वों को सुलझाने के लिए विश्व समुदाय के साथ काम करना चाहिए । हमें अपनी क्षमताओं को भी मजबूत करना चाहिए और जब कभी भी जरूरत हो अपने पैरों पर खड़े होने के लिए तैयार रहना चाहिए । इसलिए हमें अपनी सामरिक स्वायत्तता और सोच एवं कार्यों की स्वतंत्रता को मजबूत करना चाहिए । 

हमारी अर्थव्यवस्था का बुनियादी ढांचा वैश्विक मंदी के बावजूद अभी भी बना हुआ है । हम इस वर्ष भी आठ प्रतिशत के करीब की विकास दर हासिल करेंगे। हमारी लघु अवधि में हमें अपनी विकास प्रक्रिया को और अधिक समग्र बनाते हुए कृषि में महत्वपूर्ण वृद्वि के साथ शिक्षा स्वास्थ्य और अन्य सेवाओं में विस्तार एवं अपने पर्यावरण की रक्षा और सुधार लाना होगा। 

सरकार और सशस्त्र बलों की समान जिम्मेदारी 


हमारे राष्ट्र के समक्ष उत्पन्न सभी खतरों से निपटने में सरकार और सशस्त्र बलों की समान जिम्मेदारी है । आतंकवाद से मुकाबला करने का हमारा एक लम्बा इतिहास है। आज आतंकी संगठनों का नेटवर्क अधिक मजबूत और घातक हो गया है इनके लिए समुचित जवाबों की आवश्यकता है। साइबर और सूचना प्रौद्योगिकी युद्व क्षेत्र में अवधारणाओ को बदल सकते हैं। परमाणु प्रसार और परमाणु सुरक्षा हमारे पड़ोस में एक गंभीर खतरा बने हुए हैं।  

हमें अपनी समुद्री क्षेत्र सुरक्षा, तटीय क्षेत्रों की सुरक्षा, हमारे आर्थिक क्षेत्र, हमारे द्वीप क्षेत्रों और संचार के समुद्री साधनों पर अधिक ध्यान देना चाहिए। 

पूर्वोतर एवं वाम पंथ की समस्या 


आंतरिक तौर पर हमें पूर्वोत्त की समस्याओं और वाम चरमपंथ मे एक व्यापक तरीके से निपटने के लिए परिश्रम से काम करना होगा । हमारे सुरक्षा बलों के आधुनिकीकरण के लिए कोषों की उपलब्धता के मामले मे सरकार कभी भी संकोच नहीं करेगी । लेकिन इस वक्त हमें यह भी मानना होगा कि हमारे संसाधन असीमित नहीं है । मैं आपसे अपील करना चाहूंगा कि आप इन सीमित संसाधनों का उपयुक्त उपयोग करेंगे। 

राष्ट्रीय सुरक्षा का उद्देश्य एक स्वदेशी रक्षा उद्योग का विकास है। हालांकि हम बहुत से उन्नत देशों के निर्यात नियंत्रण शासन के एकाधिकार को कम करने के मामले में सफलता के साथ आगे बढ़ रहे हैं, लेकिन उच्च प्रौद्योगिकी को प्राप्त करने के लक्ष्य में हमें अपने प्रयासों को और बढ़ाने की जरूरत है । 

 सशस्त्र बलों का आधुनिकीकरण  


सशस्त्र बलों का आधुनिकीकरण विदेशी उपकरणों और विदेशी तकनीकों तक ही सीमित नहीं होना चाहिए । हमें अपने बाहरी स्रोतों की निर्भरता के साथ महत्वपूर्ण रूप से कम करना चाहिए। यह हमारे सशस्त्र बलों, हमारे वैज्ञानिकों और भारतीय उद्योग प्रमुखों के एक समन्वित राष्ट्रीय प्रयास से ही संभव होगा । 

भारत सूचना प्रौद्योगिकी और ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था 


हम सूचना प्रौद्योगिकी और ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था के मामले मे विश्व प्रमुखों में से एक उत्साहपूर्ण मामले में विश्व प्रमुखों में से एक हैं । हमारे पास एक उत्साहपूर्ण निजी क्षेत्र है । यह आवश्यक है कि बड़े उद्योगों और पहले से मौजूद दक्षताओं का उपयोग करते हुए देश में एक सक्षम रक्षा उद्योग के प्रोत्साहन के लिए नीतियां तैयार की जाएं, बडी प्रतिस्पर्धा से अधिक क्षमता और अधिक अनुसंधान एवं विकास के नेतृत्व को बल मिलेगा । इस वर्ष घोषित रक्षा उत्पादन नीति इस दिशा में एक सही कदम है। 

रक्षा खरीद की प्रक्रिया कारगर बनाने की जरूरत 


रक्षा मंत्रालय ने पिछले कई वर्षो में खरीद की प्रकियाओं को कारगर बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं। मुझे प्रसन्नता है कि रक्षा खरीद प्रक्रिया-2011 में पोत निर्माण और रक्षा खरीद से जुडें दिशा निर्देशों के विस्तार सहित इसमें निजी क्षेत्र की सहभगिता को प्रोत्साहन देने के नए प्रावधान शामिल हैं। खरीद प्रक्रियाओं में पारदर्शिता ईमानदारी और जवाबदेही सुनिषश्चित होनी चाहिए । 

युवाओं को आकर्षित करने की जरूरत 


हमारे सशस्त्र बलों को सर्वश्रेष्ठ और प्रतिभाशाली युवाओं को आकर्षित करना चाहिए । सुरक्षा बलों में पहले से मौजूद कुशलताओं का निरंतर उन्नयन करते हुए उन्हें व्यापक बनाया जाना चाहिए, ताकि हमारी सेनाएं प्रौद्योगिकी के अंतिम छोर तक संचालन कर सके। कमांडर के तौर पर आपकी अपने कनिष्ठ अधिकारियों, पुरूषों और पेशेवर गुणों के साथ एक विशेष जिम्मेदारी है। हम त्वरित संचार और जन मीडिया से प्रभावित एक तेजी से उभर रहे स्वतंत्र समाज में रहते हैं। इससे सषस्त्र बलों सहित हमारे लोकतंत्र के सभी सार्वजनिक संस्थानों पर दायित्व और बढ़ जाता है । 

पूर्व सैनिकों को कल्याण को सुनिश्चित करना हमारी जिम्मेदारी है। यह आवश्यक है कि प्रासंगिक योजनाओं और स्कीमों को प्रयासपूर्वक कार्यान्वित किया जाए ताकि हम यह सुनिश्चित कर सकें कि हमारे राष्ट्र के लिए सेवा कर चुके लोगों के प्रति हम अपनी सहानुभूति रखते हैं। 

आप दुनिया के बेहतरीन सशस्त्र बलों में से एक के कमांडर है । हमारा राष्ट्र आपकी उपलब्धियों पर गर्व करता है और आपकी बहादुरी आपके अदम्य साहस और बलिदानों का ऋणी है । मैं आने वाले वर्षो में अपने राष्ट्र के प्रति आपकी सेवा की अधिक से अधिक सफलता की कामना करता हूं ।


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Ditulis Oleh : shailendra gupta Hari: 05:49 Kategori: