Wednesday 5 December 2012

AICC महासचिव एवं पूर्व मुख्य मंत्री दिग्विजयसिंह की भोपाल पत्रकार वार्ता

शासकीय अधिकारियों/कर्मचारियों के साथ मारपीट एवं दुव्र्यवहार के प्रकरण:- 1.     मध्यप्रदेश में भाजपा शासन शासनकाल में वर्ष 2004 से आज तक लगभग 20,000 शासकीय कर्मचारियों के साथ भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा शासन की शह पर मारपीट और दुव्र्यवहार की घटनायें घटी है जिससे स्पष्ट है कि यह पार्टी अधिकारियों और कर्मचारियों के हितों की रक्षा करने में नाकाम रही है। इन घटनाओं के आरोपियों में बजरंगदल, विण्वहिन्दू परिषद, अभाविप तथा भाजपा के कार्यकर्ता षामिल थे।


2.     सरकार द्वारा विधानसभा में मार्च 2008 में प्रश्न क्रमांक 115 के उत्तर में जो जानकारी उपलब्ध कराई गई थी उसके अनुसार 1 अप्रेल 2004 से 31 दिसंबर 2007 तक शासकीय कर्मचारियों से मारपीट के 7546 प्रकरण दर्ज हुये थे जिनमें 15646 भाजपा कार्यकर्ता गुण्डागर्दी में षामिल थे।

3.     भाजपा के शासनकाल में न केवल शासकीय कर्मचारी बल्कि पुलिस के वरिष्ठ आई.पी.एस. अधिकारियों के खिलाफ भी माफिया लोगों ने भाजपा सरकार की शह पर हमले किये है जिनमें से आई.पी.एस. आफीसर नरेन्द्र कुमार की मृत्यु हो गई। एक दूसरी घटना में आई.पी.एस. अधिकारी जयदेवन पर शराब माफिया ने हमला किया जिसमें भाजपा के पूर्व विधायक नरेन्द्रसिंह कुशवाह शामिल थे। इसी प्रकार खरगोन जिले में पुलिस इंस्पेक्टर और सब इंस्पेक्टर पर हमले हुये जिनमें से इंस्पेक्टर रघुराम प्रसाद की हत्या हो गई और सब इंस्पेक्टर आर.बी. गोयल गंभीर रूप से घायल हुये।

4.     भाजपा के शासनकाल में रेत माफियाओं ने एस.डी.एम. अजयगढ़ जिला पन्ना पर हमला किया और ऐसी अनेक घटनायें पूरे प्रदेश में घटित होती रही है जिसके कारण पूरा प्रदेश माफिया प्रदेश में बदल गया है।

5.     पुलिस के इंस्पेक्टर रेंक के अधिकारियों पर राजधानी में ही पिछले वर्ष से अभी तक 25 बार हमले किये गये जिसमें अगस्त 2011 में एस.पी. अभय सिंह की आखों की रोशनी ही खत्म हो गई।

6.     फरवरी 2012 में कमला नगर थाने में आर.एस.एस. के स्वयंसेवकों ने पुलिसकर्मियों पर हमला किया। विडंबना यह थी कि पीटने वाले स्वयंसेवकों ने गृहमंत्री से मिलकर पिटे हुये पुलिसकर्मी सब इंस्पेक्टर बी. एम. कुशवाह, सहायक सब इंस्पेक्टर धर्मसिंह आर्य, प्रधान आरक्षक देवेन्द्र, नरवरिया, मुंशी संतराम खन्ना एवं आरक्षक सुरेश यादव, नवीन मिश्रा, विनोद पठारिया, अतुल जंगले, समरसिंह व अन्य को निलंबित करा दिया।

7.     देवास जिले में एक महिला तहसीलदार पर रेत माफियाओं ने हमला किया और यह घटना आई.पी.एस. अधिकारी की हत्या के एक माह बाद हुई। इससे लगता है कि यह सरकार आपराधिक और गुण्डा तत्वों के विरूद्ध कोई कार्यवाही नही करना चाहती।

8.     इस सरकार में महिलाओं के विरूद्ध भी बलात्कार, अपहरण, छेड़छाड़ की घटनायें बहुत अधिक घट रही है। राज्य अपराध ब्यूरो के स्वयं के आकड़े बताते है कि वर्ष 2010 में प्रदेष में 3135 महिलाओं के साथ बलात्कार की घटनायें घटी वहीं यह 2011 में बढ़कर 3406 हो गई अर्थात प्रदेष में प्रतिदिन महिलाओं के साथ बलात्कार हो रहा है। इसी प्रकार छेड़छाड़ की घटनायें 2010 में 6646 से बढ़कर 2011 में 6665 और महिलाओं अर्थात प्रतिदिन 18 महिलाओं के साथ छेड़छाड़ हो रही है। तथा बालिकाओं के अपहरण की घटनायें 2010 में 1030 से बढ़कर 2011 में 1088 हो गई।

9.     राज्य में बच्चों के विरूद्ध घटित अपराध में भी राज्य सरकार देष में षीर्ण पर है। 2011 में ही बालिकाओं के विरूद्ध बलात्कार के 1182 प्रकरण, अपहरण के 440 प्रकरण और हत्या के 144 प्रकरण दर्ज हुये।

10.    यह सरकार णासकीय कर्मचारियों, बच्चों और महिलाओं को सुरक्षा देने में पूर्णतः नाकाम रही है।

11. राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार मध्यप्रदेष महिलाओं के विरूद्ध बलात्कार और छेड़छाड़ की घटनाओं में णीर्ष पर है। बच्चों के विरूद्ध घटित अपराधों में षीर्ष पर है। दलितो और आदिवासियों के विरूद्ध अपराधों में णीर्णस्थ है।


भाजपा के शासनकाल में कर्मचारियों एवं पेंशनर्स की सरकार द्वारा हजम की गई राशि

1.    कांग्रेस के णासनकाल में कर्मचारियों एवं पेंषनर्स को केन्द्रीय तिथि से मॅंहगाई भत्ता दिया जाता था। यद्यकिप उसकी घोषणा 3-4 माह पष्चात होती थी लेकिन उसका एरियर कर्मचारियों के भविष्य निधि खाते में सीधा जमा किया जाता था। इस सरकार ने केन्द्रीय तिथि से मॅंहगाई भत्ता न देकर लगभग 5 से 6 महीनो का विलंब कर कर्मचारियों को मंहगाई भत्ता दिया है जिसके कारण सरकार ने 4 लाख 60 हजार षासकीय कर्मचारियों का 133 महीनों क े मंहगाई भत्ते का एरियर जो लगभग 8610 करोड़ रूपये है हजम कर लिया है।

2.     अग्रवाल आयोग की अनुषंसाओं के अनुसार जो वेतन भत्ते (गष्ह भाड़ा, यात्रा भत्ता, स्थानांतरण अनुदान इत्यादि) प्रदेण कर्मचारियों को दिनांक 01.01.2006 से देय है वे भी वर्ण 2012 के अंत से दिये जा रहे है जबकि इसे केन्द्र की तिथि से देय मान्य किये जाने की स्थिति में प्रतिवर्ण रू. 306.74 करोड का एरियर कम्रचारियों को दिया जाना चाहिये जो 01.01.2006 से 01.11.2012 तक लगभग 6 वर्ण की एरियर राणि रू. 306.74 ग 6 त्र 1840.44 करोड़ रूपये होती है।

3.     इसी प्रकार प्रदेष में लगभग 2,75,000 पेंषनर्स है जिनकी मंहगाई राहत का लगभग 9000 करोड़ रूपये का एरियर सरकार ने हजम कर लिया है।

4.     यदि सरकार षासकीय कर्मचारियों एवं पेंषनर्स की उपरोक्त उल्लेखित राणि रू. 19450.44 करोड़ रूपयों नही हड़पती तो प्रत्येक कर्मचारी/पेंषनर को औसतन 3 से 4 लाख रूपये नगद मिलते जिससे वह अपना छोटा सा घर बना सकता था या बेटी का विवाह कर सकता था।

5.     कांग्रेस के 10 वर्षांे के षासनकाल में मष्तक कर्मचारियों के आश्रितों को 30 हजार अनुकंपा नियुक्तियाॅं दी गई थी जबकि भाजपा के णासनकाल में अनुकंपा नियुक्तियों के 15 हजार प्रकरण लंबित है तथा अबष्तक कर्मचारियों के आश्रित अपनी नियुक्ति हेतु कार्यालयों के चक्कर काट रहे है।

6.     कांग्रेस के णासनकाल में 22334 दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों की सेवा नियमित की गई थी परन्तु भाजपा के णासनकाल में 55000 दैनिक वेतन भोगी नियमितीकरण से वंचित कर दिये गये।

7.     कांग्रेस के णासनकाल में 5 वें वेतन आयोग के एरियर्स एक ही किण्त में दिया गया था जबकि भाजपा के णासनकाल मे छठवें वेतनआयोग के एरियर का भुगतान 5 किण्तों में बगैर ब्याज के किया जा रहा हैं।

8.     प्रदेष में 2,50,000 अध्यापकों को समान कार्य के लिये समान वेतन नही दिया जा रहा है जिसके लिये वे अनेक वर्षों से संघर्ष कर रहे है।

9.     म.प्र. विद्युत मण्डल के कर्मचारियों को केन्द्र के अनुरूप मंहगाई भत्ता न देकर राज्य णासन से भी 7 प्रतिषत कम मात्र 65 प्रतिणत मंहगाई भत्ता दिया जा रहा है। इसके कारण लगभग 50,000 विद्युत कर्मचारियों को लगभग 855 करोड़ रूपये का नुकसान हुआ है।

10.    अलग-अलग विद्युत कंपनियों में सेवानिवष्त्तिी आयु और डी.ए. की दरें भिन्न-भिन्न है जो ऊर्जा सुधार बिल 2000 में दिये गये प्रावधानों के विपरीत है।

11.    विद्युत कर्मचारियों का वेतन पुनरीक्षण जहाॅ कांग्रेस के णासनकाल में प्रत्येक 5 वर्ष में किया जाता था वहीं भाजपा के णासनकाल में यह प्रावधान 10 वर्षों का कर दिया गया है।

12.    विद्युत कर्मचारियो के बोनस, अनुग्रह राषि, गष्ह भाड़ा भत्ता में भी भारी कटौती भाजपा णासनकाल में की गई है।

13.    ऊर्जा सुधार बिल 2000 के अंतर्गत राज्य णासन के नियंत्रण में णासकीय विद्युत कंपनी बनाने का जिस भाजपा ने विरोध किया था वही मध्यप्रदेष के नौ जिलों -ग्वालियर, मुरैना, दतिया, उज्जेन, देवास, शाजापुर, नरसिंहपुर, सतना और सागर की बिजली व्यवस्था निजी फ्रेंचाइजी को देने की तैयारी की जा रही है।,

14.    सभी श्रेणी के बिजली उपभोक्ताओं से मीटरीकष्त मीटर रीडिंग का निर्णय कांग्रेस णासन ने लिया था लेकिन भाजपा णासन में अभी भी किसानों को बिना मीटर के आंकलित खपत के आधार पर मनमाने बिल दिये जा रहे है। भारी भरकम बिजली बिलों के कारण अनेक किसानों ने आत्महत्या कर ली है।

15.    भोपाल णहर में कानून व्यवस्था की बिगड़ती हालत इतनी गंभीर है कि कर्मचारी संघ के नेता एवं महिला कर्मचारी की दिन दहाड़े हत्या कर दी गई जिसका सुराग आज तक पुलिस नही लगा पाई है।

16.    तथाकथित कर्मचारी हितैणी सरकार न तो कर्मचारियों को सुरक्षा दे पा रही है और न ही उनके आर्थिक हितों का संरक्षण कर पा रही है।

ads

Ditulis Oleh : shailendra gupta Hari: 01:21 Kategori: