Tuesday 22 January 2013

काग्रेस अध्यक्ष मा. श्रीमती सोनिया गांधीजी द्वारा पार्टी के जयपुर चिंतन शिविर में दिया गया मूल भाषण:

एक पार्टी के रूप में अपने भीतर देखने का भी आज अच्छा मौक़ा है।  हमारी राजनीतिक सोच क्या है? किन मूल्यों के लिए हम खड़े हें?   कौन सी बात हमें, अपने राजनीतिक विरोधियों से बेहतर बनाती है?  हमारे अंदर क्या खासियत है?  लोग हमें वोट क्यों दे? ये कुछ ऐसे सवाल हैं, जो मुझे अक्सर सुनने को मिलते हैं। 

इसलिए हमारे जवाब स्पष्ट होने चाहिए। हमें न केवल अपने लिए स्पष्ट होना चाहिए, बल्कि हमें यह जवाब सादगी और भरोसे के साथ औरों को भी समझाने चाहिए।

कांग्रेस पार्टी ने हमेशा अपने को भारत की उस परिकल्पना से जोड़ा है, जिसकी सोच और प्रेरणा हमें महात्मा गांधी से मिली। हमें नेहरू जी, सरदार पटेल, मौलाना आज़ाद और डॉ.आंबेडकर जैसे दूसरे अनेक महान नेताओं का भी मार्गदर्शन मिला, जिन्होंने आधुनिक भारत का निर्माण किया और उसी का नतीजा है, कि आज एक ऐसा भारत है, जो न सिर्फ़ अपनी बहुत सी अनेकताओं का आदर करता है, बल्कि ऐसा भारत भी है, जो अपनी बुनियादी एकता की प्रेरणा भी उन्हीं से प्राप्त करता है। हम भाग्यशाली हैं कि शास्त्रीजी, इंदिरा जी और राजीव जी जैसे नेताओं का नेतृत्व मिला, जिन्होंने एक नये भारत के निर्माण में ऐतिहासिक भूमिका निभायी। 
यह ऐसा भारत है, जिसकी बुनियाद मज़बूत केंद्र, मज़बूत राज्यों और स्थानीय शासन की सशक्त संस्थाओं पर टिकी है।

यह ऐसा भारत है, जो सामाजिक, आर्थिक बदलाव में सरकार की और असरदार भूमिका बना रहा है, इसके साथ-साथ निजी उद्यमियों को विकसित होने के लिए आर्थिक अवसर प्रदान कर रहा है।  
यह ऐसा भारत है, जो अपने पडोस में शांति कायम रखनें में विश्वास करता है, लेकिन जो सिर्फ़ स्वीकृत सभ्य व्यवहार के सिद्धांतों के आधार पर वार्ता करता है और जो आतंकवाद और सीमा-पार खतरों के सामने डटकर खड़ा है।

हमारे दिल में समाज के सभी वर्गों के लिए समान स्थान है। हमें समाज के सभी वर्गों से समर्थन प्राप्त है और खास तौर से हम अनुसूचित जातियों, जनजातियों, पिछड़े वर्गों, अकलियतों और महिलाओं की समस्याओं पर विशेष ध्यान देते हैं।

इसी तरह हमारी नीतियों और कार्यक्रमों में कृषि और किसानों को पूरा महत्व दिया जाता है, जो हमारी अर्थ-व्यवस्था का मूल-आधार है।

कांग्रेस पार्टी भारत की एकता और अखंडता का मुख्य प्रतीक है। हम न सिर्फ़ भारत, बल्कि हम भारत की भावनात्मक एकता के लिए भी पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं। हम उन सभी विचार-धाराओं और ताक़तों का हमेशा मुकाबला करेंगे, जो भारत की एकता और अखंडता को चुनौती देती हैं, जो हमारे समाज का ध्रुवीकरण करना चाहते हैं और जो हमें विभाजित करना चाहते हैं।

कांग्रेस पार्टी संसदीय लोकतंत्र की सबसे बड़ी हिमायती है। हमारे लिए इस लोकतंत्र की बुनियाद पंचायत-राज संस्थाओं ने उपलब्ध करायी है। हालांकि हमें स्वीकार करना चाहिए, कि राजनीतिक प्रक्रिया से लोगों का मोह-भंग हो रहा है।

हमें समझना चाहिए, कि इस मोह-भंग का कारण क्या है? और संवेदनशीलता के साथ उसे दूर करना चाहिए। ऐसा करते हुए हमें राज-नेताओं, राजनीतिक दलों और लोकतांत्रिक संस्थाओं पर किसी भी तरह से कीचड़ उछालने का खंडन और विरोध करना चाहिए। लेकिन हम इस बात को भी मानते हैं, कि लोगों का भरोसा लौटाने के लिए चुनाव सुधारों और खासतौर पर विचार करने की आवश्यकता है। विभिन्न सरकारी और गैर-सरकारी मंचों पर अनेक सुझावों पर विचार किया जा रहा है। अब हमें इन सुधारों को अमली-जामा पहलाने के लिए स्पष्ट और समय-बद्ध कार्य क्रम बनाने की

जरूरत है। इस प्रक्रिया को प्रोत्साहन देने के लिए, मैं पार्टी में एक समूह का गठन कर रही हूं जो, सभी प्रस्तावों पर विचार करेगा और जल्दी से जल्द हमें कार्यक्रम उपलब्ध कराएगा।

बिल्कुल शुरू से ही, कांग्रेस हमेशा समतावादी समाज के लिए डटकर खड़ी रही और इसके लिए संघर्ष किया है। पार्टी  ने देश को गरीबी से छुटकारा दिलाने, सामाजिक और आर्थिक असमानताओं को दूर करने के लिए ऐतिहासिक कार्यक्रम और योजनाएं चलायी हैं। यह प्रचार मात्र नहीं है, बल्कि यह बड़ी मेहनत से तैयार किए गये हैं और नैतिक रूप से निहायत ज़रूरी भी हैं।

साथियो, 
इन दिनों हर राजनीतिक दल विकास का दावा करता है। यह एक तथ्य है कि विकास अपने आप में चुनाव का मुद्दा है और इसका पूरा श्रेय कांग्रेस की कार्य-प्रणाली को जाता है, लेकिन यह केवल कांग्रेस की कार्य-प्रणाली ही नहीं है बल्कि, यह लोकतंत्र, विकास और सामाजिक-न्याय के लिए अटल इरादा है, जो कांग्रेस के दिल में बसा है। मैं बे-हिचक कह सकती हूं, कि किसी और पार्टी में ऐसी वैचारिक बुनियाद नहीं है। यह बड़ी खुशी की बात है, कि केंद्र सरकार ने निरंतर साढ़े आठ साल पूरे कर लिए है। इसे प्रतिबिंबित करने का यह अच्छा अवसर है।  

डॉ. मनमोहनसिंह जी के नेतृत्व में हमारा काम बहुत सराहनीय और प्रभावशाली रहा है। हमें इसका गर्व है, कि हमारी सरकार के प्रमुख उद्देश्य के अनुरूप हमने तीव्र और समावेशी वृद्धि हासिल की है। सामाजिक कल्याण और गरीबी-उन्मूलन के लिए हमने बोजोड़ संसाधन उपलब्ध कराए हैं। बगैर किसी राजनीतिक भेद-भाव के केंद्र ने राज्य सरकारों को बड़ी मात्रा में धन मुहैया कराया है। मैं इस बात से अच्छी तरह परिचित हूं कि, कई ग़ैर-कांग्रेसी राज्यों ने केंद्र के कुछ कार्यक्रमों पर अपना दावा किया है। स्पष्ट तौर पर यह बेबुनियाद है और हम सबको इसका पर्दा-फाश करना चाहिए। 

हमने सही मायने में अधिकार आधारित नया दृष्टिकोण अपनाया है। इसके लिए सूचना का अधिकार, रोज़गार का अधिकार, शिक्षा का अधिकार, वन अधिकार अधिनियम- जैसे कुछ महत्वपूर्ण  कानून बनाए हैं। इसके अलावा खाद्य-सुरक्षा का अधिकार और भूमि अधिग्रहण के लिए सही मुआवज़ा संबंधी अधिकार प्रदान करने के लिए भी काम किया जा रहा है।

पार्टी को चाहिए कि वह लोगों को उनके अधिकारों की पूरी जानकारी दे, जहां हम अधिक काम करने की दिशा में तत्पर हैं, वहीं हमने जो लंबी दूरी तय की है, उसे भी नहीं भूलना चाहिए। अपने देश के लोगों को हमें अपनी उपलब्धियों के बारे में बताना चाहिए। सरकार तो अपनी ओर से लोगों को जानकारी देती ही है, लेकिन  पार्टी-संगठन को भी उसका प्रचार-प्रसार करना चाहिए। 

जब पूरा विश्व वित्तीय संकट और आर्थिक चुनौती का सामना कर रहा था, उस समय भारत पर उसका ज्यादा असर नहीं पड़ा। लेकिन आज इस वैश्विक मंदी का असर भारत पर भी पड़ रहा है। इसीलिए सरकार को कुछ कठोर निर्णय लेने के लिए मजबूर कर रहा है। मैं जानती हूं, कि इससे लोगों की मुश्किलें बढीं हैं। इसके बावजूद मंहगाई पर काबू पाने के लिए हमारी सरकार ने जो कदम उठाए हैं, हमें वह लोगों को समझाना चाहिए। लोकसभा के चुनावों में सिर्फ़ पंद्रह महीने ही रह गये है। मुझे विश्वास है, कि यदि हम सही तरीक़े से और एकता के साथ काम करेंगे, तो कोई वजह नहीं है, कि हमें फिर से जनादेश न मिले।

इस वर्ष ही बहुत से राज्यों में भी चुनाव होने हैं। मेरे विचार से हमारी सबसे बड़ी चुनौती यह है, खुद को एक-जुट होकर, अनुशासित रूप में लोगों के सामने रखें। हमारे कार्यकर्ताओं की अपने नेताओं से सिर्फ एक ही अपेक्षा है- एकता और अनुशासन। हमें उनके इस विश्वास पर खरा उतरना होगा। पार्टी की विजय ही हम सबकी विजय है। संगठन के हर स्तर पर नेतृत्व की पहचान, उनको प्रशिक्षण देना और बढ़ावा देना बेहद ज़रूरी है। यह विशेष कार्य होना चाहिए, जिसे हमारे पदाधिकारी अंजाम दें, चाहे वे संगठन में हों या सरकार में। पार्टी  ही है, जिसने उन्हें ये पद प्रदान किए हैं और अब यह उनका दायित्व है कि वे अपना दायरा विकसित करें और अपना सहयोग केवल अपने चहेतों तक ही सीमित न रखें,बल्कि सभी कार्यकर्ताओं को भी दें। 

साथियो, 
यह काम करने का समय है। अपने गौरव-शाली और बेमिसाल इतिहास के साथ हम देश की प्रमुख राजनीतिक पार्टी हैं। इसलिए यह स्वाभाविक ही है, कि हमसे लोगों को अपेक्षाएं भी अधिक होंगी। हमें हर स्तर पर, हर मंच पर अपने काम का प्रदर्शन करना होगा। इसलिए जिन लोगों ने बार-बार हम पर भरोसा और विश्वास किया है।  

उनके लिए हमें अपनी पूरी ताक़त और सामूहिक राजनीतिक इच्छा-शक्ति के साथ, काम करना चाहिए। 
यही हमारा आह्वान है और यही हमारा दायित्व। 
जय-हिंद।


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Ditulis Oleh : shailendra gupta Hari: 07:35 Kategori: