भोपाल। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया ने कहा है कि म.प्र. की स्थापना को 56 वर्ष हो गए हैं। इस लंबी अवधि में प्रदेश की जनता अपने प्रदेश से भरपूर प्रेम करने लगी है और उसको मन-वचन-कर्म से अपना मानती है, लेकिन आश्चर्य की बात है कि भाजपा सरकार को प्रदेश के सवा सात करोड़ लोगों के ‘‘प्रदेश-प्रेम’’ पर अभी विश्वास नहीं हो रहा है।
कल राज्य विधान सभा में म.प्र. स्थापना दिवस समारोह पर भोपाल में 7 करोड़ 30 लाख रूपये के खर्च का औचित्य प्रतिपादित करते हुए मुख्य मंत्री द्वारा यह कहना कि म.प्र. के नागरिकों में अपने प्रदेश के प्रति भाव जागे और वे अपने प्रदेश पर गर्व करें, इसलिए यह कार्यक्रम आयोजित किया गया था, एक हास्यास्पद लगता है।
मुख्य मंत्री के इस कथन से जाहिर होता है कि प्रदेश की जनता के मन में न तो अपने प्रदेश के प्रति लगाव है और न ही वह उस पर गर्व करती है। शिवराजसिंह को खुलासा करना चाहिए कि 56 साल बाद अचानक उनकी सरकार को यह अहसास किन कारणों से हुआ कि प्रदेशवासी अपने प्रदेश से न तो प्रेम करते हैं और न ही उस पर उनको गर्व है ?
श्री भूरिया ने कहा है कि आज विकास के क्षेत्र में म.प्र. जहां भी खड़ा है, उसमें प्रदेश के नागरिकों ने भरसक योगदान दिया है। यह बात दूसरी है कि भाजपा शासनकाल में इस योगदान पर पानी फेरने के लिए बड़ी संख्या में नकारात्मक काम हो रहे हैं। फिर भीऐसे कोई खास कारण विद्यमान नहीं हैं, जिनके आधार पर जनता पर यह आरोप लगाया जा सके कि उसमें प्रदेश के प्रति लगाव और गर्व के भाव नहीं हैं।
आपने कहा है कि 2003 के बाद भाजपा सरकार ने प्रशासन, कानून-व्यवस्था, विकास, पोषण, सड़क, बिजली, महिलाओं के सम्मान आदि क्षेत्रों में प्रदेश को जिस बदहाली के कगार पर ला खड़ा किया है, उसके कारण प्रदेश की जनता को अब शर्मिंदगी का सामना करना पड़ रहा है। रही-सही कसर भ्रष्टाचार, कुप्रबंधन और बलात्कार की घटनाओं ने पूरी कर दी है। प्रदेश के लोगों को अब अन्य राज्यों में यह बताने में शर्मिंदा होना पड़ रहा है कि वे उस प्रदेश के वासी हैं, जहां शिवराजसिंह चैहान के नेतृत्व में भाजपा की निकम्मी सरकार सत्ता में है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा है कि इस वर्ष के स्थापना दिवस समारोह के साढ़े पांच लाख निमंत्रण पत्र बांटने की जानकारी विधान सभा में दी गई है, जबकि भोपाल के लाल परेड मैदान की क्षमता केवल एक लाख की है। सवाल उठता है कि साढ़े पांच लाख निमंत्रण पत्र आखिर क्यों बांटे गए ? इस गंभीर विसंगति के आधार पर यह आशंका पैदा होती है कि निमंत्रण पत्रों की यह संख्या फर्जी है। दरअसल समारोह के दो लाख के आस-पास ही निमंत्रण पत्र छपवाये गये होंगे।
यदि वास्तव में साढ़े पांच लाख निमंत्रण पत्र छपवाये गये हैं तो मुख्य मंत्री बतावें कि इतनी बड़ी संख्या में निमंत्रण पत्र किस प्रक्रिया से बंटवाये गये थे ? क्या यह सच है कि सरकारी कार्यक्रम के निमंत्रण पत्र भाजपा और आरएसएस के कार्यकर्ताओं से बंटवाए गये हैं, जिससे कि पार्टी को उसका चुनावी फायदा मिल सके ? क्या यह भी सच है कि निमंत्रण पत्रों के वितरण की अव्यवस्था को लेकर भाजपा के भोपाल के जिलाध्यक्ष आलोक शर्मा और संस्कृति मंत्री के बीच मारी कहासुनी हुई थी ?
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा है कि भाजपा सरकार ने शायद देश में फिजूल खर्ची का कीर्तिमान स्थापित करने का संकल्प कर लिया है। मुख्य मंत्री द्वारा विधान सभा में की गई घोषणा के अनुसार अगले साल से जिलों में स्थापना दिवस धूमधाम से मनाया जाएगा अर्थात भोपाल की तरह ही जिलों में भी स्थापना दिवस समारोह के तमाशे पर करोड़ों की होली जलेगी, जबकि अगला वर्ष 2013 चुनाव वर्ष है।
आपने आरोप लगाया है कि प्रदेश की भाजपा सरकार ने अपने नौ वर्ष के कार्यकाल में प्रदेश के विकास और जनहित के क्षेत्र में ऐसा कुछ भी खास नहीं किया है, जो वह एक बार फिर वोट मांगने के लिए जनता को बता सके, इसलिए उसने ऐसे तमाशों की आड़ में अपनी कागजी उपलब्धियों के आंकड़ों के जरिये जनता को भ्रमित करने के अपने गुप्त एजेण्डे को लागू करेगी।