Monday 19 November 2012

विश्व-नेत्री इंदिरा गांधी दूरदृष्टा और गरीबों की हिमायती

अश्विनी श्रीवास्तव/ आजाद भारत की सर्वाधिक लोकप्रिय महिला यदि कोई है तो वह निस्संदेह प्रियदर्शिनी श्रीमती स्व. इंदिरा गांधी हैं। उन्हें न केवल देश की पहली महिला प्रधानम़ंत्री बनने का श्रेय हासिल है, बल्कि उन्होंने अपने दीर्घ शासनकाल में सर्वहारा, गरीब, पीड़ित, शोषित और देश हित में जो कड़े फैसले किए या निर्णय लिए, उस कारण उन्हें "आयरन लेडी" यानी लौह महिला भी कहा जाता था। आप लौह--पुरुष की उपाधि तमाम पुरुषों को दे सकते हैं, लेकिन श्आयरन लेडीश् का खिताब केवल और केवल प्रियदर्शिनी इंदिरा गांधी के नाम ही जाता है। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन में चार बार प्रधानमंत्री की शानदार पारी खेली और एक बार बहुत कम समय के लिए विपक्ष की बागडोर संभाली।


कड़े कदम उठाने में संकोची नहीं


इंदिराजी के संपूर्ण राजनीतिक जीवन को देखें तो यही कहा जा सकता है कि वे पक्की देशभक्त, अनुशासन की हिमायती, .ढ़ निश्चयी, कूटनीतिक और खास तौर पर गरीबों, शोषितों और पीड़ितों की मसीहा थीं। उनकी लोकप्रियता का अंदाज केवल इसी बात से लगाया जा सकता है कि आज भी झाबुआ या बस्तर के आदिवासी सोनियाजी को इंदिरा अम्मा की बहू के रूप में जानते हैं।

साठ के दशक के मध्य में, यानी 1966 में जब इंदिराजी ने सत्ता के सूत्र संभाले तो उनके मन में भारत के गरीबों के प्रति खास हमदर्दी तो थी, साथ ही देश में व्याप्त विषमता की कसक भी थी। इंदिराजी ने सबसे पहले जो कड़े कदम उठाए, उनमें राजे--रजवाड़ों का पिर्वीपर्स बंद करना और बैंकों का राष्ट्रीयकरण प्रमुख है, लेकिन उनके करिश्माई व्यक्तित्व और ..तित्व का पता लोगों को तब लगा, जब 1971 में पड़ौसी देश पाकिस्तान पर आक्रमण का निर्णय लिया और युद्ध में पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी। यही नहीं इंदिराजी ने बड़ी सूझबूझ और कूटनीति से बांग्लादेश का निर्माण करवाकर पाकिस्तान के दो टुकड़े भी करवा दिए। इंदिराजी की इस सफलता पर उनकी तारीफ तत्कालीन विपक्षी नेता अटलबिहारी वाजपेयी ने भी की और उन्हें संसद के भीतर श्दुर्गाश् स्वरुपा यानी दुर्गावतार कहा था। यहीं से इंदिराजी की लोकप्रियता का ग्राफ बहुत तेजी से बढ़ा और वे श्आयरन लेडीश् कहलाईं।

गरीबी हटाओ का दहला


1971 के चुनाव में जब विरोधी दलों, खासतौर पर जनसंघ ने श्इंदिरा हटाओश् का नारा दिया था, तब इंदिराजी ने नहले पर दहला जड़ते हुए नारा दिया था श्गरीबी हटाओ।श्वाकई, इंदिराजी ने देश की जनता के मानस को समझ लिया था और उनका यह जादू जनता पर चल गया था। जनता ने उन्हें व्यापक जन समर्थन दिया और सत्ता में लौटाया। उनके चुंबकीय आकर्षण का ही यह जादू था कि कश्मीर से कन्याकुमारी और अटक से कटक तक कांग्रेस आम जनता खासतौर पर सर्वहारा, आदिवासियों, दलितों एवं शोषितों के हृदय में बसी हुई है।

निर्गुट आंदोलन से बनीं विश्व--नेत्री


दुनिया के दो संपन्न शक्ति केंद्र--अमेरिका और रूस के सामने श्निर्गुट आंदोलनश् में सैकड़ों देशों का समूह उनके विकास और अस्तित्व के लिए बनाकर वे विश्वनेत्री तो बनीं ही, साथ ही भारत को तीसरी शक्ति के रूप में भी मान्यता की नई इबारत उन्होंने लिख दी।

विश्वनेत्री ने देश की सामंतशाही और दबंगों के रोजमर्रा के उत्पीड़न के दर्द को बहुत संवेदनशीलता से अनुभव किया था, तभी उन्होंने देश के दबंगों से गरीब को अपना घर अपनी जमीन के लिए अनेक क्रांतिकारी निर्णयों के समूह को 20 सूत्रीय कार्यक्रम के लक्ष्य के तहत कार्ययोजना को मूर्त रूप दिया था।

कांग्रेस को देश से गरीबी हटाओ आंदोलन की नब्ज को समझने में तनिक भी देर नहीं हुई और उसने अपना समग्र ध्यान गरीबों के उत्थान की दिशा में केंद्रित कर पग बढ़ाने शुरु किए।

देश में जब कोई भगवा कार्ड खेल रहा था, कोई जातिगत बंटवारे का हथकंडा अपना रहा था, तब कांग्रेस ने धर्म निरपेक्षता के मार्ग का अनुसरण किया। गांव के भूमिहीन, आवासहीन दलित और वनवासी की चिंता करते हुए कांग्रेस सरकारों ने एक से बढ़कर एक नये और वास्तविकता के धरातल पर सीधे हितग्राही को लाभ पहुंचाने की नीति अपनाई। इसके सुपरिणामों ने अब देश में एक राहत दी है।

धर्म निरपेक्षता और राष्ट्रीयता का संकल्प


श्रीमती इंदिरा गांधी के जीवन के उत्तरार्ध में उन्हें देश--विदेश की अनेक गुप्तचर एजेंसियों ने, धर्म विशेष के लोगों से सीधे हमले की सूचना दी थी, भारतीय इंटेलिजेंस ने उस पर जैसे ही अमल शुरु किया तो सूचना उन तक पहुंची किंतु उनके मन, कर्म वचन में बसे राष्ट्रवाद--धर्म निरपेक्षता और परस्पर विश्वास की जीवटता ने उन्हें जान ने उन्हें जान से बड़ा देश सिद्ध करने का रास्ता अपनाने को विवश किया। इसी का परिणाम यह हुआ, जिन अंगरक्षकों पर उन्होंने विश्वास जताया उन्हीं के हाथों वे शहीद हो गईं।

श्रीमती गांधी की चिंता और चुनौती यह थी कि देश के गरीबों की औसत आयु में रोड़ा बनने वाली बीमारियों से लड़े, गांव तक विकास पहुंचाएं, देश के विकास की रफ्तार बढ़ाएं तथा गरीबी को ळटाने में शोषण के बड़े अवरोध से भी लड़ें।

देश में जिस आपातकाल की आलोचना होती है, उस दौर के अनुशासन पर्व की उपलब्धियों को कोई भी नकार नहीं सकता। देश ने जिस लक्ष्य और कार्यक्रम का निर्धारण का अमल उस दौर में देखा है, उसके सुखद परिणाम आज भी प्रासंगिक हैं।

राजीव गांधी और सोनिया गांधी का संकल्प


इंदिराजी की शहादत के बाद राजीव गांधी जी ने देश को जो 21 वीं सदी का सपना दिखाया, उसमें भी इंदिराजी की लंबे अनुभव और दूर .ष्टि का समावेश था। जिस कम्प्यूटर क्रांति--इलेक्ट्रानिक क्रांति का श्रीगणेश राजीवजी ने किया था, उसके सुखद परिणामों को रास्ते चलते गांव से महानगर तक देखा और महसूस किया जा सकता है।

गांधी परिवार की समग्र .ष्टि के विरोधी और .ष्टिहीनता


ये गांधी परिवार की वचनबद्ध्ता, संस्कार और त्याग की भावना का अद्भुत संयोग है कि जो दूर--.ष्टि और राष्ट्र के समग्र स्वरुप की चिंता कांग्रेस और गांधी परिवार में है, वह किसी दल के पास नहीं है। देश ने जिस भयावह विभाजन के बाद विकास की रफ्तार पकड़ी, उस रफ्तार के हर विरोध का नाम गैर कांग्रेसवाद और विपक्षी दलों के साथ ही सामने आया।

राष्ट्र के हर बड़े निर्णय कांग्रेस सरकार ने लिए और इन सारे निर्णयों का विरोध विपक्षी दलों ने पुरजोर तरीके से किया किंतु जनता पार्टी, जनता दल और भाजपा की राष्ट्रीय सरकारों ने देश के विकास में कोई मील का पत्थर नहीं गाड़ा, जिसे याद रखता।

सोना गिरवी रखने का भी श्रेय गैर कांग्रेसवाद को


यह दुखद और विडंबना ही कहा जा सकता है है जिस सोने रुपी भारत को दुनिया में गंभीरता से लिया जाता था, उसी देश की आर्थिक रफ्तार ने उसे सोना गिरवी रखने के मार्ग पर चलने को मजबूर किया और वह भी गैर कांग्रेसवाद की सरकार ने। उस स्थिति की कल्पना मात्र से ही अजीब सी सिहरन होती है। जहां राष्ट्र से बड़ी सस्ती लोकप्रियता और पदलोलुपता की आंधी की .ष्टिहीनता का परिचय देश के गैर कांग्रेसवाद ने दिए। जिस देश में छोटे--छोटे रोगों से लड़ने की महामारी और भीषण अन्न संकट देखा हो उसी देश की कुछ .ष्टिहीन सरकारों ने अपने प्राथमिकता की छाप भी देश की स्मृति में नहीं छोड़ी।

मनरेगा--इंदिरा--राजीव आवास--बीपीएल खाद्यान्न ओर गरीबी हटाओ का संकल्प


अनेक उतार--चढ़ाव और आर्थिक--राजनीतिक अस्थिरता के दौर में श्रीमती सोनिया गांधी राहुल गांधी और डॉ. मनमोहनसिंह ने जो अचूक ऐतिहासिक निर्णय देश के सबसे निचले व्यक्ति को दिए हैं, उनकी तुलना दुनिया के किसी देश में नहीं है। उनका उदाहरण दुनिया दमें दूसरा नहीं है।

शहरी हो या ग्रामीण, खेतिहर मजदूर सब की ताकत बनकर, सबकी आवाज बनकर कांग्रेस की यूपीए सरकार ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना, इंदिरा आवास, राजीव गांधी आवास योजना, बीपीएल कार्ड खाद्यान्न योजना, गांव--गांव तक पहुंच मार्ग, पेयजल आपूर्ति, छोटी--बड़ी बीमारी उपचार योजना, पेंशन योजना, जीवन बीमा योजना, किसान कर्जमाफी योजना, वनवासी पट्टा योजना से श्रीमती सोनिया गांधी ने कांग्रेस की परंपरा को आगे बढ़ाया, इंदिराजी के स्वप्न और राजीवजी के अधूरे कामों को पूर्ण स्वरुप देने में बेमिसाल योगदान दिया है।

गांव और कस्बे के दबंगों के शोषण के शिकार और अभिशप्त परिवारों को रोजगार गारंटी और बीपीएल खाद्यान्न योजना ने जो संबल दिया है, वह भारत के इतिहास में महात्मा गांधी और इंदिरा गांधी के प्रति श्रद्धांजलि है। आज 80 प्रतिशत गरीब शोषण से दूर होकर खुद निर्णय लेने लगे हैं। अधिकांश मजदूरों की शर्त पर गांव के दबंग झुकने को तैयार हो गए हैं जो कांग्रेस की गांधीवादी स्वर्णिम परंपरा है।

विश्व नेत्री--जन नेत्री--दुर्गास्वरूपा विराट व्यक्तित्व की धनी श्रीमती इंदिरा गांधी को विनम्र श्रद्धांजलि।





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Ditulis Oleh : shailendra gupta Hari: 09:29 Kategori: