
निर्माण की भाषा में इसको ‘‘पैचवर्क’’ कहा जाता है। प्रदेश में राज्य के बजट से पिछली बरसात के पूर्व जो बड़ी-छोटी सड़कें भाजपा के चहेते ठेकेदारों ने अमानक सामग्री लगाकर बनाई थीं, वे अधिकतर बरसात के दिनांे में बह गई हैं या उन पर बड़े-बड़े गड्ढ़े बन गए हैं, जिन पर वाहन चलाना जानलेवा हो गया है।
दरअसल प्रदेश की राज्य स्तरीय अधिकांश सड़कों और गड्ढ़ांे के बीच फर्क करना बहुत कठिन हो गया है। यह पैचवर्क चूंकि सरकार के दबाव में ताबड़तोड़ हो रहा है, इस कारण उसमें क्वालिटी और खराब सड़कों के कितने हिस्से पर हो रहा है और कितना हिस्सा चालाकी दिखाते हुए बीच-बीच में ज्यों का त्यांे खराब हालत में छोड़ा जा रहा है, इसकी कहीं कोई पूछ परख नहीं हो रही है। इस कारण ठेकेदारों को लोक निर्माण विभाग के अफसरों की सांठगांठ से अधूरे पैचवर्क के भी भुगतान की स्थिति बन रही है। सड़क के इस मामले में इसको ‘‘दोहरा भ्रष्टाचार’’ कहा जा सकता है। पहला भ्रष्टाचार तो सड़कों के निर्माण के समय होता है और दूसरा पैचवर्क के समय।
राज्य मार्गों और अन्य मार्गों पर पैचवर्क को लेकर पूरे प्रदेश में यह भ्रष्टाचार जारी है। इस पैचवर्क का लोक निर्माण विभाग के अफसरों द्वारा प्रायः स्थल और तकनीकी सत्यापन नहीं किया जाता है, इस कारण पैचवर्क का यह घोटाला पकड़ में नहीं आ रहा है और ठेकेदार निधड़क होकर विभाग से भुगतान प्राप्त करने में सफल हो रहे हैं।
मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चैहान के गृह जिले सीहोर में जब पैचवर्क में भ्रष्टाचार का गोरख धंधा बेरोकटोक चल सकता है, तो अन्य जिलों का तो भगवान ही मालिक हैं। आपने कहा है कि वर्ष 2011 में सड़कों को लेकर हुए हंगामे और धरना-प्रदर्शनों के बाद अक्टूबर 11 में जिले के अंदर से गुजरने वाले हाईवे के साथ ही अन्य 18 ग्रामीण सड़कों पर पैचवर्क व डामरीकरण कार्य स्वीकृत किया था। इसके लिए राज्य शासन ने दस करोड़ रूपये से अधिक की राशि जारी की थी। इसमें हाईवे के साथ ही ग्रामीण सड़कों पर सुधार कार्य किया जाना था, लेकिन यह कार्य भी पूरी ईमानदारी से न हो सका।
सीहोर नगर के अंदर से होकर गुजरने वाले 18 किलोमीटर लंबे हाईवे की जर्जर हालत को सुधारने के लिए गत वर्ष फरवरी-मार्च में नगर के अंदरूनी क्षेत्रों के साथ ही हाईवे पर पैचवर्क व डामरीकरण कार्य किया गया था। इस कार्य में भी कोताही बरती गई। फंदा टोल टैक्स जोड़ से थूना सब स्टेशन का पूरा 5 किलोमीटर का टुकड़ा छोड़ दिया गया है।
थूना से पचामा पुल तक काम हुआ, इसके बाद फिर अधूरा छोड़ दिया गया है। इसी प्रकार जिला मुख्यालय के आरएके कालेज से सोया चैपाल के बीच के मार्ग पर भी एक-दो स्थानों पर डामरीकरण या पैचवर्क किया गया है। यह मार्ग आज छह महीने बाद पुरानी स्थिति से भी बदतर स्थिति में पहुंच गए हैं।
मैने प्रदेश में इस वर्ष बरसात के बाद कराये गए और कराये जा रहे पैचवर्क की निष्पक्ष जांच और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है और यदि आधे-अधूरे एवं फर्जी पैचवर्क का भुगतान हुआ है, तो ऐसे भुगतान की राशि ठेकेदारों से वसूल की जाए।
कांतिलाल भूरिया
मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री