Sunday, 20 January 2013

कांग्रेस, हर भारतीय का सहयोग करेगी: राहुल गांधी

जयपुर। कांग्रेस में न.2 की जिम्मेदारी मिलने के बाद राहुल गांधी ने अपने पहले भाषण में कहा कि कांग्रेस हर भारतीय की पार्टी है और मैं हरेक को एक आंख से देखूंगा। राहुल ने कांग्रेस के चिंतन शिविर में कहा कि हमें आम आदमी को समझाना पड़ेगा और व्यवस्था में बदलाव लाने की खास जरूरत है, परंतु बदलाव सोच-समझकर, विचार करके लाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि मौजूदा व्यवस्था ऐसी है कि कुछ खास लोगों के इर्द—गिर्द ही सभी प्रकार की सत्ता सिमटी हुई है। अब तेजी से बदलाव लाने की जरूरत है। 

कांग्रेस के सवा सौ साल के इतिहास में राहुल गांधी तीसरे उपाध्यक्ष हैं। राहुल गांधी के पहले अर्जुनसिंह और जीतेंद्र प्रसाद पार्टी के उपाध्यक्ष रह चुके हैं। पार्टी का एक बड़ा समूह लोकसभा चुनाव के बाद राहुल गांधी को प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहता है। राहुल ने आज पहले अंग्रेजी में और उसके बाद हिंदी में अपना भाषण दिया। राहुल गांधी ने कहा कि वे सबके लिए काम करेंगे और सबकी सबको सुनेंगे—'मैं एनएसयूआई, युवक कांग्रेस और पार्टी में महासचिव रहा हूं और उपाध्यक्ष बना हूं। मैंने पार्टी से बहुत कुछ सीखा है।' उन्होंने कहा-'मैं वादा करना चाहता हूं कि सबको एक ही आंख से देखूंगा। एक ही तरीके से सबसे मिलूंगा। युवा, महिला, सबकी सुनूंगा।'

राहुल गांधी ने कहा कि आज बदलाव की सबसे अधिक जरूरत है। बदलाव सोच—समझकर लाना है, सबकी आवाज सुनकर लाने की जरूरत है। काम करना है तो बदलाव लाना होगा, सोच—समझकर लाना होगा। कांग्रेस दुनिया का सबसे कड़ा संगठन है और यह चलता कैसे है। हमारे विरोधी भी आश्चर्य करते हैं कि यह कैसे चलता है। उन्होंने कहा कि ​पहली जरूरत है नियम—कानून की। हर दो मिनट में नए कानून बनते हैं और पुराने कानून दबा दिए जाते हैं। यह गांधीजी का संगठन है और हिंदुस्तान का डीएनए है। 

उन्होंने कहा कि नियम कानून के बाद लीडरशिप को डेवलप करने की जरूरत है, जिस पर हम फोकस नहीं करते। पहले 40 फोटो होती थी। नेहरूजी, पटेल, आजाद कोई भी प्रधानमंत्री बन सकता था। हमें ऐसे ही 40 नेता तैयार करने हैं जो देश को चला सकें। लीडरशिप डेवलपमेंट का ऐसा ही काम प्रदेश, जिला और ब्लॉक स्तर पर भी होना चाहिए। यदि हमने ऐसा कर दिया तो सब कहेंगे कि कांग्रेस ऐसी पार्टी है जो नेता तैयार करती है। ऐसे नेता, ​जो हिंदुस्तान को गहराई से समझते हैं। ऐसा हो जाए तो हमारे सामने कोई भी खड़ा नहीं रह पाएगा। 

राहुल गांधी ने अपने भाषण में कहा कि कमी क्रियान्वयन की है और एक्शन लेने की जरूरत है। ज्ञान है, जानकारी है पर उस पर अमल नहीं होता है, उसके लिए ढ़ांचे की जरूरत है, इसलिए सिस्टम बनाया जा सकता है और उसे आप चला सकते हो। अभी दिक्कत यह है कि जो आम कार्यकर्ता है, स्थानीय नेतृत्व है, टिकट वितरण के समय उससे पूछा नहीं जाता है और ऐसे व्यक्ति को टिकट दे दिया जाता है जो दूसरी पार्टी से आता है और चुनाव लड़कर वापस अपने जहाज पर चले जाता है। राहुल गांधी ने कहा कि सबसे पहले कार्यकर्ता की इज्जत होना चाहिए। नेताओं की इज्जत होना चाहिए और वह तभी होगा जब नेता जनता के लिए काम करेगा। ऐसा उसे 2—3 बार कहना चाहिए, यदि फिर भी काम नहीं करता है तो उसे कहकर बाजू कर दिया जाना चाहिए।

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Ditulis Oleh : shailendra gupta Hari: 05:17 Kategori: