Wednesday 9 January 2013

झारखंड: सोनिया से मुलाकात में बनेगा सरकार बनाने का समीकरण


झारखंड/रांची/  झारखंड में राष्ट्रपति शासन के लगने की आशंका के बीच नयी सरकार के गठन की भी कवायद तेज़ हो चुकी है। सूबे की राजनीति दिल्ली शिफ्ट हो गयी है। सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली पार्टी झामुमो के नेता हेमंत सोरेन की अगुवाई में दिल्ली में कैम्प किये हुए हैं। आज उनकी मुलाक़ात कांग्रेस के आला नेताओं से हो रही है जहां झारखंड में सरकार बनाने की संभावनाओं पर बातचीत होनी है। सूत्र बताते हैं कि हेमंत कांग्रेस अध्‍यक्ष सोनिया गांधी से भी मिलेंगे।



हालांकि, पूरा खेल कांग्रेस की मुठ्ठी में है। इसमें निर्दलीय विधायकों ने पेंच फंसा रखा है। सरकार को समर्थन देने के लिए कई निर्दलीय विधायक तैयार हैं लेकिन उसके बदले में सभी मंत्री पद चाह रहे हैं। इतना ही नहीं समर्थन देने से पहले सभी निर्दलीय विधायक मंत्री पद के आश्वासन का पत्र भी चाह रहे हैं। सरकार बनने का पूरा मामला यहीं फंसा हुआ है। इसी क लेकर पूरी राजनीती दिल्ली शिफ्ट हो गयी है।


 

इधर, राज्य के राजनीतिक हलचल पर राजभवन की भी निगाहें हैं। राजभवन केंद्र से भी लगातार संपर्क में है। आज राजभवन से कांग्रेस नेता सुबोधकांत सहाय को बुलावा भी  आया है। इसके अलावा आज झारखंड विकास मोर्चा के नेता बाबूलाल मरांडी भी राज्यपाल सैयद अहमद से मिलेंगे। आजसू, जदयू  अन्य पार्टियाँ भी सरकार को लेकर लगातार बैठकें कर रही हैं।




राज्य में नई राजनीतिक स्थिति के बीच कांग्रेस अब सधे कदमों से आगे बढ़ रही है। भाजपा से समर्थन वापसी के पूर्व झामुमो नेताओं के लाख प्रयास के बावजूद कांग्रेस ने किसी तरह का कोई समर्थन पत्र नहीं दिया। वह लगातार यह बयान देती रही कि पहले झामुमो भाजपा से अलग हो, इसके बाद ही सारे विकल्पों पर बात होगी।

झामुमो का प्रयास या दबाव कांग्रेस को एक कदम भी आगे नहीं बढ़ा सका। अंतत: झामुमो ने भाजपा सरकार से समर्थन वापस तो ले लिया लेकिन वह कांग्रेस का समर्थन पत्र पाने में अब तक सफल नहीं हो सकी है। कांग्रेस के साथ उसकी अब तक कोई ठोस बातचीत भी नहीं हो पाई है। अब कांग्रेस यह कह रही है कि राज्यपाल का फैसला आने के बाद ही पार्टी कोई निर्णय करेगी।

कांग्रेस का यह रूख बयां करता है कि एक ओर जहां सरकार बनाने में उसकी कोई दिलचस्पी नहीं है, वहीं दूसरी ओर वह सरकार बनाने के लिए समर्थन देने में भी किसी तरह की जल्दबाजी नहीं करना चाहती है। कांग्रेस की रणनीति ने सरकार बनाने में दिलचस्पी रखने वाले दलों के सामने ज्यादा विकल्प नहीं रहने दिया है।


अब क्या हो सकता है। क्या हैं विकल्प -



विकल्प-1 : राष्ट्रपति शासन

किसी भी पार्टी की ओर से सरकार बनाने के लिए जरूरी समर्थन नहीं जुटा पाने की आशंका को भांपकर राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश कर सकते हैं।

विकल्प -2 : वैकल्पिक सरकार का गठन

अर्जुन मुंडा को कार्यवाहक मुख्यमंत्री बने रहने को कहकर सरकार बनाने के लिए दलों के दावे आमंत्रित कर सकते हैं। दावेदारों में से सबसे अधिक विधायक वाले दल के नेता को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित कर सकते हैं।

विकल्प- 3 : चुनाव की अनुशंसा

अर्जन मुंडा को कार्यवाहक मुख्यमंत्री बने रहने को कहकर विधानसभा चुनाव की अनुशंसा कर सकते हैं।

विकल्प -4 : विधानसभा का निलंबन

राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर या कार्यवाहक सीएम रखकर विस को वैकल्पिक सरकार का गठन होने तक के लिए निलंबित कर सकते हैं।


अब दायित्व निभाए कांग्रेस : झामुमो


झामुमो कांग्रेस के सहयोग से सरकार बनाना चाहती है। उसकी इच्छा है कि मुख्यमंत्री की कुर्सी पर झामुमो का ही कोई नेता बैठे। पार्टी के मीडिया प्रभारी सुप्रियो भट्टाचार्य ने मंगलवार को कहा कि अब कांग्रेस को आगे बढ़ कर अपना दायित्व निभाना चाहिए। सुप्रियो ने कहा कि राज्य में राजनीतिक अस्थिरता की स्थिति समाप्त करने के लिए कांग्रेस पहल करे और लोकतांत्रिक संस्थाओं को ध्वस्त होने से बचाए। कांग्रेस की पहल के बाद वे लोग आंकड़े जुटा लेंगे। यह पूछने पर कि और कौन-कौन उनके साथ हो सकते हैं, सुप्रियो ने कहा कि वक्त आने पर इन सब बातों का खुलासा हो जाएगा। कांग्रेस के साथ सरकार बनाने की स्थिति में किस पार्टी के हिस्से में सीएम की कुर्सी आएगी, इस पर सुप्रियो ने कहा कि यह एक परंपरा रही है कि गठबंधन सरकार में अधिक विधायकों वाली पार्टी को ही मुख्यमंत्री की कुर्सी मिलती है। लिहाजा झामुमो का दावा स्वाभाविक रूप से बनता है। सुप्रियो ने आरोप लगाया कि अर्जुन मुंडा को लोकतांत्रिक व्यवस्था में विश्वास नहीं रहा। यह एक दुखद पहलू है कि जो सरकार अल्पमत में है, वह नीतिगत फैसले लेने के लिए कैनिबेट की बैठक बुलाती है। कहा कि राज्य में लोकतांत्रिक व्यवस्था कायम रहे, लोगों के प्रति यहां उत्तरदायी सरकार संचालित होती रहे, इसके लिए झामुमो प्रयास करेगा।

ये कर सकते हैं राज्यपाल :  गर्वनर की भूमिका यह प्रावधान भी : राज्यपाल स्पीकर को मैसेज भेजकर विधानसभा से लीडर चुनने को कह सकते हैं। इस चुने गए नेता को राज्यपाल सरकार बनाने के लिए आमंत्रित कर सकते हैं। हालांकि, इस संवैधानिक व्यवस्था का अभी तक किसी राज्यपाल ने उपयोग नहीं किया है।



कांग्रेस के लिए सुखद स्थिति  : कांग्रेस यह जानती है कि जिस दल को सरकार बनानी है वह उसके पास प्रस्ताव लेकर जरूर आएगा। यह कांग्रेस के लिए सुखद स्थिति होगी। क्योंकि तब वह अपनी शर्तों को थोप सकेगी। अब तक कांग्रेस ने जो सोचा था, उसके अनुसार वह अपनी रणनीति में सफल रही है। वह चाहती थी कि राज्य में भाजपा नेतृत्व वाली सरकार न रहे लेकिन इस सरकार के जाने का कलंक भी उस पर न लगे।



राज्यपाल शीघ्र फैसला करें : धर्मेंद्र


भाजपा के प्रदेश प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि विषम राजनीतिक स्थितियों को देखते हुए सीएम अर्जुन मुंडा ने अपने पद से इस्तीफा दिया है। साथ ही सरकार ने राज्य और यहां की जनता के हित में विधानसभा भंग करने का फैसला लिया। क्योंकि अब कोई दूसरा विकल्प नहीं बचा था। यह सब निर्णय भाजपा के केंद्रीय नेताओं से बातचीत के बाद ही लिया गया है। मुंडा सरकार के फैसले से भाजपा पूरी तरह सहमत है। राज्यपाल से अपेक्षा है कि कैबिनेट के फैसले के अनुरूप वह संवैधानिक आवश्यकता को पूरा करेंगे। जल्द से जल्द विधानसभा भंग कर चुनाव कराने की सरकार की सिफारिश पर मुहर लगाएंगे।  प्रधान मंगलवार को भाजपा कोर कमेटी की बैठक के बाद संवाददाताओं से बातचीत कर रहे थे। दो घंटे विलंब से शुरू हुई कोर कमेटी की बैठक में पूरी राजनीतिक स्थिति पर चर्चा की गई। तय हुआ कि अब पार्टी को राजभवन के फैसले का इंतजार करना चाहिए। बैठक में सौदान सिंह, हरेंद्र प्रताप, अर्जुन मुंडा, प्रदेश अध्यक्ष दिनेशानंद गोस्वामी, रघुवर दास, पीएन सिंह, रामटहल चौधरी, दीपक प्रकाश सहित अन्य सदस्य उपस्थित थे।

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Ditulis Oleh : shailendra gupta Hari: 03:18 Kategori: